great men routine in hindi.चित्रकार पिकासो ने दोस्तों के साथ मिलने के लिए सिर्फ आधे रविवार का समय ही रखा था | बाकी के दिनों में मात्र काम , और कुछ नहीं
जीनियस , सफल , और ग्रेट मनुष्य जो की दूसरों के रोल मॉडल बन चुके है उनकी दिनचर्या कैसी होती है ? उनका जागना – सोना –काम करने का टाईमटेबल कैसा होता है ? “ daily richyulas : how artist work “ ये एक किताब है जो की मेसन करी नाम के लेखक ने रची है | इस किताब में 161 लेखक,चित्रकार,चिन्तक,वैज्ञानिक, गनितशास्त्री और राजकीय व्यक्ति की बातें और उनकी दिनचर्या के बारे में जानने को मिलेगा |तो जानते है फ्रेंड्स Daily Routine of Great men in hindi ( महान लोगों की दिनचर्या ) के बारे में | इससे पहेले में एक बात कहेना चाहता हूँ की यह पोस्ट बहुत ध्यान से पढना और इसका सही अर्थ समझना |
Daily Routine of Great men in hindi
महान और सफल लोगों की दिनचर्या
Daily Routine of Great men in hindi
महान और सफल लोगों की दिनचर्या
![]() |
Source : huffinington post |
सफल आदमी की काम करने की आदत , रिलेक्स होने की आदत और अन्य लक्षण
में कहीं भी उनके सफल होने की एक या दो चाबी तो छुपी ही होगी | यह किताब विदेशी है
इसलिए इसमें जिनकी बात हुई है वह भी विदेशी है | इसमें कहिओं के नाम और काम शायद
आपको पता भी नहीं होगे मगर हमको ज्यादा ध्यान उनकी विगत जानने में रखना चाहिए |
एक प्रश्न बार बार सूझता है की दिन का कौन सा समय सबसे ज्यादा
क्रिएटिव होता है ? सुबह या रात ? इसका कोई अचूक जवाब नहीं है | इंग्लैंड के
भूतपूर्व मिनिस्टर विंस्टन चर्चिल सुबह 7:30 को उठ जाते पर दो घंटे तक वह अपने बेड
पे से खड़े भी नहीं होते थे | ब्रेकफास्ट करना, बुक , न्यूज़ पेपर , पत्र पढना और सेक्रेटरी को सुचना या फिर ऑर्डर देना ये सबकुछ
वह दो घंटे बेड पे रहकर ही करते थे | भूतपूर्व अमेरिकन प्रेसिडेंट बराक ओबामा सुबह
7:30 को उठ जाते थे , weight और कार्डियो एक्सरसाइज ख़तम करके वह 9:00 बजे से पहेले
ही ऑफिस में पंहुच जाते थे | रात को फॅमिली के साथ डिनर करके बहुत सी बार वह वापिस
ऑफिस आ जाते और रात के दस बजे तक काम करते रहते थे |
एनेलिटिकल scicology के जन्मदाता कार्ल जंग का स्पष्ट कहेना था की “
दिन के महत्व के काम तो शरीर और मन थक जाये उससे पहेले ही कर लेने चाहिए | थक के
चूर हो गया हो , परेशान हो गया हो , और तनमन को आराम की जरूर हो फिर भी जो आदमी
काम करता रहे वह तो सिर्फ मुर्ख ही होगा | मोजार्ट सुबह 6 बजे उठ जाते और रात को 1 बजे तक म्यूजिक लेसन , कॉन्सर्ट
,मीटिंग आदि में बिजी रहते थे | आयरिश कवी- लेखक जेम्स जोयस सुबह 10 बजे उठते | 1
घन्टे तक बेड पे ही पड़े रहते थे | फिर उठके नहाते , शेविंग करते और पियानो बजाने
बैठते | यह सब कार्यक्रम के बाद उनको दोपहर में लिखने का मूड होता था | अमेरिकन
लेखक जॉन अपड़ाइक शिष्टाचार से सुबह लिखने बैठ जाते | वह कहते है की “ प्रेरणा की राह देखके बैठना नहीं चाहिए ,
लिखते रहो , क्यूंकि नहीं लिखने का और कुछ न करके सिर्फ बैठे रहेने का आनन्द इतना
प्रचंड होता है की यदि आपको उसकी आदत हो जाये तो आपको काम करने का जरा भी मन नहीं
होगा | “
कुछ क्रिएटिव व्यक्तिओं के लिए walk करने की एक्सरसाइज बहुत विशेष
होती है | उनके पैरो की मूवमेंट उनके दिमाग को गतिशील रखती है | सोरेन किकेगार्ड
नाम के डेनिश चिन्तक को चलते चलते अचानक कोई विचार आ जाता तो वह जल्दी से अपने घर
वापस चले जाते और वोकिंग स्टिक और छाते सहित स्टडी रूम में घुस जाते और फटाफट
लिकने बैठ जाते थे | ब्रिटिश लेखक चार्ल्स डिकन्स सुबह में नहीं बल्कि दुपहर को
walk करते थे | महान जर्मन कंपोजर और पियानिस्ट बीथोवन भी खाने के बाद चलने निकलते
थे | वह जेब में कागज और पेन्सिल याद करके रखते थे जिससे अचानक कोई धुन सूझे तो
उसको नोट कर सके | क्रिएटिव विचार कभी दिमाग में से जल्दी निकल जाते है इसलिए हम
भूल जाये इससे पहेले उन विचारो की एक नोट बना लेनी चाहिए |
रोज हम कितना लिखते है उसका हिसाब रखना चाहिए ? नोबेल प्राइज winner
अर्नेस्ट हेमिंग्वे रोज कितने शब्द लिखते थे उसका अलग ही चार्ट बनाया था , के
जिससे खुद को उल्लू नहीं बना सके ? बी.एफ.स्किनर नाम के एक अमेरिकन लेखक –scicologyst
लिखने बैठते तब रीतसर टाइमर सेट करते और उसके बाद हर hour में कितने word लिखते
उसका नियमित चार्ट बनाते थे |
महान कलाकारों की एक कॉमन खासियत
– मर्यादित सामाजिक जीवन है | फ्रेंच लेखिका – फेमिनिस्ट सिमोन द बुवा कभी भी किसी
पार्टी में नहीं जाते , न ही कोई आमंत्रण का स्वीकार करते , न ही लोगों के साथ
ज्यादा गुलते मिलते | उन्हों ने बहुत मशकत करके यह life स्टाइल बनाई थी | चित्रकार
पिकासो ने दोस्तों के साथ मिलने के लिए
सिर्फ आधे रविवार का समय ही रखा था | बाकी
के दिनों में मात्र काम , और कोई डिस्टर्बेंस नहीं .
सो बात की एक बात | उतम सर्जन करने के लिए कोई भी महान पद्धति या
नियम का होना जरूरी नहीं है | सर्जनशक्ति रखनेवाले सफल मनुष्य खुद ही अपनी तासीर
के हिसाब से खुद के नियम बना लेते है और सफल बनते है |